हम सभी जानते हैं कि शब्दों का हमारी ज़िंदगी में कितना गहरा प्रभाव होता है, इंसान जो कुछ भी सोचता है या महसूस करता है, वह शब्दों के माध्यम से ही सामने आता है, अगर हम सही शब्दों का चयन करें तो हमारी बात न केवल सामने वाले तक साफ़ तरीके से पहुँचती है बल्कि उसका असर भी गहरा पड़ता है, वहीं, अगर हम गलत शब्दों का इस्तेमाल कर दें तो उसका परिणाम बिल्कुल उल्टा हो सकता है, यही कारण है कि सही शब्दों का चयन करना एक बेहद ज़रूरी स्किल है, जिसे हर व्यक्ति को सीखना चाहिए, इसलिए आपको यह जानना जरूरी है की सही शब्दों का चयन कैसे करें
अक्सर लोग कहते हैं कि “बात करने का तरीका ही इंसान की असली पहचान है” यह बात पूरी तरह सही है क्योंकि आप किस परिस्थिति में कौन से शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं, वही आपकी सोच और व्यक्तित्व को दर्शाते हैं, चाहे आप किसी रिश्ते में हों, ऑफिस में काम कर रहे हों या फिर सोशल मीडिया पर अपनी बात रख रहे हों, हर जगह शब्दों का महत्व सबसे ज़्यादा होता है।
यही वजह है कि इस पोस्ट में हम विस्तार से समझेंगे कि सही शब्दों का चयन क्यों ज़रूरी है, शब्दों के चुनाव में आम गलतियाँ क्या होती हैं और आप कैसे अपनी शब्दावली को सुधारकर बेहतर बातचीत कर सकते हैं, इन सारी बातों को हम अच्छे से जानेंगे तो आहिए शुरू करते है।
सही शब्दों का महत्व
सही शब्द चुनने का महत्व इतना गहरा है कि यह आपके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है, आपके शब्द केवल बातचीत का साधन नहीं होते है, बल्कि ये रिश्ते बनाने, आत्मविश्वास दिखाने और समाज में अपनी जगह बनाने का जरिया भी हैं।
मान लीजिए कि किसी मीटिंग में आपको अपने विचार रखने हैं, अगर आपने सही शब्दों का चुनाव किया तो आपके विचार प्रभावशाली लगेंगे और लोग आपको ध्यान से सुनेंगे, लेकिन अगर आपने अस्पष्ट या गलत शब्दों का इस्तेमाल किया तो हो सकता है कि लोग आपकी बातों को गंभीरता से न लें।
इसी तरह रिश्तों में भी सही शब्द बहुत मायने रखते हैं, कई बार पति-पत्नी, दोस्त या परिवार के लोग सिर्फ शब्दों की गलतियों के कारण लड़ाई-झगड़े में उलझ जाते हैं, सही भावना होते हुए भी गलत शब्द आपके पूरे रिश्ते को बिगाड़ सकते हैं, वहीं, थोड़े से अच्छे और सकारात्मक शब्द आपके रिश्तों को ओर मजबूत बना सकते हैं।
सही शब्द आपके आत्मविश्वास को भी दर्शाते हैं, जब आप आत्मविश्वास के साथ स्पष्ट और सटीक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो लोग आपको एक गंभीर और भरोसेमंद व्यक्ति मानते हैं, यही कारण है कि शब्द का चयन केवल भाषा की खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि जीवन में सफलता पाने के लिए भी करना ज़रूरी है।
गलत शब्दों का असर
गलत शब्दों का असर किसी तेज़ धार वाले हथियार से भी ज़्यादा खतरनाक हो सकता है, बहुत बार लोग सोचते हैं कि यह तो सिर्फ शब्द हैं, लेकिन सच तो यह है कि शब्द इंसान के दिल और दिमाग दोनों पर गहरी चोट कर सकते हैं।
मान लीजिए कोई बॉस अपने कर्मचारी से कहे “तुम कुछ काम के नहीं हो” यह वाक्य कर्मचारी के आत्मविश्वास को तोड़ सकता है और उसके मन में हीनभावना पैदा कर सकता है, जबकि अगर वही बॉस कहे “तुम्हारे काम में सुधार की गुंजाइश है और मुझे भरोसा है कि तुम बेहतर कर सकते हो” तो इससे कर्मचारी को प्रेरणा मिलेगी और वह और बेहतर काम करने की कोशिश करेगा।
यानी फर्क सिर्फ शब्दों का है, गलत शब्द रिश्तों को तोड़ सकते हैं, माहौल को खराब कर सकते हैं और आपकी छवि को बिगाड़ सकते हैं, जबकि सही शब्द वही काम सकारात्मक तरीके से कर सकते हैं।
इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि जब भी हम बोलें या लिखें, तो सोच-समझकर शब्दों का इस्तेमाल करें, क्योंकि एक बार मुह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं लिए जा सकते।
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शब्द चयन में आम गलतियाँ
अब सवाल यह उठता है कि लोग सबसे ज़्यादा गलती कहाँ करते हैं?
सबसे पहली गलती है – भावनाओ के अनुसार शब्द न चुनना कई बार लोग गुस्से में या दुखी होकर ऐसे शब्द बोल जाते हैं जो बाद में पछतावे का कारण बनते हैं।
दूसरी गलती है – बेमेल शब्दों का इस्तेमाल करना इसका मतलब है कि परिस्थिति चाहे कितनी भी गंभीर क्यों न हो, लेकिन लोग उसमें मजाकिया या हल्के-फुल्के शब्द इस्तेमाल कर देते हैं, जिससे सामने वाला आहत हो सकता है।
तीसरी गलती है – अनजाने शब्दों का प्रयोग कुछ लोग अपनी विद्वता दिखाने के लिए बहुत कठिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर सामने वाला उन्हें समझ ही नहीं पाया तो आपकी बात का कोई फायदा नहीं होगा।
चौथी गलती है – बिना सोचे-समझ के बोलना कई बार लोग जल्दबाजी में ऐसे शब्द बोल देते हैं जिनका अर्थ बहुत गलत निकलता है इस तरह के शब्द आपके रिश्तों और इमेज दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

सही शब्द चुनने के तरीके
सही शब्दों का चयन करना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन इसके लिए थोड़ी सजगता और अभ्यास की ज़रूरत होती है, नीचे कुछ महत्वपूर्ण तरीके दिए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी भाषा और शब्दों की ताक़त को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
1. परिस्थिति को समझें
किसी भी शब्द का चुनाव करने से पहले यह ज़रूरी है कि आप परिस्थिति को अच्छे से समझें।
- अगर आप औपचारिक माहौल (जैसे ऑफिस मीटिंग, इंटरव्यू) में हैं, तो आपके शब्द गंभीर और पेशेवर होने चाहिए।
- अगर आप दोस्तों के बीच हैं तो हल्के-फुल्के और मज़ेदार शब्द भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अगर कोई दुखी है तो आपको संवेदनशील और भावनात्मक शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।
परिस्थिति के अनुसार शब्दों को ढालना ही सही बातचीत की पहली शर्त है।
2. भावनाओं का ध्यान रखें
शब्द केवल भाषा ही नहीं, बल्कि आपकी भावनाओं का एक माध्यम हैं, इसलिए जब भी आप कोई शब्द चुनें तो यह सोचें कि सामने वाला कैसा महसूस करेगा।
- गुस्से में कठोर शब्द बोलने के बजाय शांतिपूर्ण शब्द चुनें।
- दुखी व्यक्ति को समझाने के लिए सहानुभूति भरे शब्द प्रयोग करें।
- उत्साह बढ़ाने के लिए प्रेरणादायक और सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करें।
याद रखें, आपकी भावना चाहे जैसी भी हो, लेकिन उसे व्यक्त करने का तरीका हमेशा शब्दों से ही तय होता है।
3. सरल और स्पष्ट शब्द चुनें
कई लोग कठिन और दुर्लभ शब्दों का प्रयोग करके विद्वान बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह आदत गलत है, अगर सामने वाला आपके शब्दों का अर्थ ही न समझे तो बातचीत अधूरा रह जाता है।
- कोशिश करें कि हमेशा सरल और स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करें।
- आसान भाषा का प्रयोग करने से आपकी बात सीधी और प्रभावी तरीके से सामने वाले तक पहुँचती है।
- यह ध्यान रखें कि शब्द आपकी समझदारी नहीं, बल्कि आपकी संवेदनशीलता और स्पष्टता को दर्शाते हैं।
4. सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें
सकारात्मक शब्दों की शक्ति अपार होती है, ये न केवल सामने वाले को प्रोत्साहित करते हैं बल्कि माहौल को भी बेहतर बनाते हैं।
उदाहरण के लिए:
- “तुम्हारा काम अच्छा नहीं है” कहने के बजाय “तुम और अच्छा कर सकते हो” कहना अधिक प्रभावी है।
- “मुझे नहीं लगता कि तुम यह कर पाओगे” कहने की बजाय “मुझे भरोसा है कि तुम कोशिश करोगे और सफल होगे” कहना बेहतर है।
सकारात्मक शब्द लोगों के मन में आशा जगाते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
5. शब्द बोलने से पहले सोचें
बहुत बार लोग बिना सोचे-समझे ऐसे शब्द बोल देते हैं जिनका परिणाम बहुत बुरा होता है, एक बार बोले गए शब्द वापस नहीं लिए जा सकते, इसलिए हमेशा यह आदत डालें कि बोलने से पहले एक पल रुककर सोचें कि जो आप कहने वाले हैं, उसका असर सामने वाले पर कैसा होगा।
6. शब्दों का अभ्यास करें
जैसे खेलों में अभ्यास जरूरी होता है, वैसे ही सही शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए भी अभ्यास की ज़रूरत होती है।
- रोज़ किताबें पढ़ें, खासकर वे किताबें जिनमें सरल और प्रेरणादायक भाषा का इस्तेमाल हो।
- अच्छे वक्ताओं के भाषण सुनें और ध्यान दें कि वे किस परिस्थिति में कौन से शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।
- लिखने की आदत डालें, क्योंकि लिखने से शब्दों का चयन और भी परिष्कृत होता है।
7. सामने वाले की समझ को ध्यान में रखें
हर व्यक्ति की भाषा और समझ का स्तर अलग होता है, अगर आप किसी छोटे बच्चे से बात कर रहे हैं तो उसके स्तर के अनुसार सरल शब्दों का प्रयोग करें, वहीं ध्यान रहे अगर कभी भी किसी विद्वान व्यक्ति से जब आप बातचीत कर रहे होते हैं तब आप थोड़े गहरे शब्दों का पउपयोग कर सकते हैं।
याद रखें कि सही शब्द वही है जिसे सामने वाला आसानी से समझ सके।
अभ्यास करने के आसान तरीके
सही शब्दों का चयन केवल सिद्धांत से नहीं सीखा जा सकता इसके लिए लगातार अभ्यास करना पड़ता है, नीचे कुछ व्यावहारिक तरीके बताए गए हैं , जैसे
- डायरी लिखने की आदत डालें – रोज़ाना की घटनाओं को डायरी में लिखते समय कोशिश करें कि आप अपने विचार स्पष्ट और सही शब्दों में लिखें।
- दूसरों के शब्दों पर ध्यान दें – जब लोग आपसे बात करें तो गौर करें कि वे कौन से शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसका आप पर क्या असर हो रहा है।
- गलत शब्दों से बचने की लिस्ट बनाएं – कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिनसे सामने वाले को बुरा लगता है, उनकी एक लिस्ट बनाएं और धीरे-धीरे उन्हें अपनी बोलचाल से हटाएँ।
- सकारात्मक वाक्य बनाने का अभ्यास करें – हर नकारात्मक वाक्य को सकारात्मक रूप में बदलने की आदत डालें।
- रोल-प्ले करें – परिवार या दोस्तों के साथ अलग-अलग परिस्थितियों का अभिनय करें और देखें कि उसमें आप कौन से शब्द चुनते हैं।

सही शब्दों का प्रभाव
सही शब्द केवल बातचीत का साधन नहीं हैं, बल्कि यह आपके जीवन के हर पहलू पर गहरा असर डालते हैं, जिस तरह कपड़े पहनने से व्यक्तित्व झलकता है, उसी तरह शब्दों का चुनाव आपके विचार और संस्कारों को प्रदर्शित करता है।
1. रिश्तों में सही शब्दों का महत्व
रिश्ते पूरी तरह से आपकी बातचीत पर आधारित होते हैं, अगर आपकी बातचीत अच्छी है, तो इससे आपका रिश्ता मजबूत रहता है और अगर बाते बिगड़ती है तो इससे रिश्ते भी कमजोर हो जाते हैं।
- परिवार में – घर के माहौल को सकारात्मक बनाए रखने के लिए सही शब्दों का प्रयोग करना जरूरी है, बच्चों से प्यार और सम्मान के साथ बात करना उन्हें आत्मविश्वासी बनाता है, वहीं, गुस्से में कठोर शब्दों का प्रयोग करने से वे डरपोक और आत्मविश्वासहीन हो सकते हैं।
- दोस्तों के साथ – दोस्ती मज़बूत बनाने के लिए हंसी-मज़ाक में भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई आहत न हो, छोटी-सी बात गलत शब्दों की वजह से दोस्ती में दरार डाल सकती है।
- पति-पत्नी के रिश्ते में – एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए शब्दों का प्रयोग करना ज़रूरी है “तुम कभी मेरी बात नहीं मानते” कहने के बजाय “अगर तुम मेरी बात मानोगे तो मुझे अच्छा लगेगा” कहना अधिक प्रभावी होता है।
रिश्तों को जोड़ने और तोड़ने का काम शब्द ही करते हैं, इसलिए शब्दों का चयन हमेशा सोच-समझकर करना चाहिए।
2. करियर में सही शब्दों की भूमिका
आपका करियर केवल आपकी मेहनत और स्किल्स पर नहीं, बल्कि आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स पर भी निर्भर करता है।
- इंटरव्यू में – सही और आत्मविश्वास से भरे शब्द आपको नौकरी दिला सकते हैं, गलत शब्द या नकारात्मक जवाब आपकी मेहनत पर पानी फेर सकते हैं।
- ऑफिस में – सहकर्मियों और बॉस से बातचीत करते समय शब्दों का चयन बेहद अहम होता है, सम्मानजनक और सकारात्मक शब्द का प्रयोग करने वाले लोग टीम में जल्दी लोकप्रिय हो जाते हैं।
- बिजनेस में – ग्राहकों से बात करते समय आपका व्यवहार और शब्द आपकी सफलता तय करते हैं, “आपको हमारी सर्विस कैसी लगी?” पूछना हमेशा “कोई दिक्कत तो नहीं हुई?” से बेहतर लगता है।
करियर में आगे बढ़ने के लिए तकनीकी ज्ञान जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही सही शब्दों का चयन भी ज़रूरी है।
3. व्यक्तित्व पर असर
आपका व्यक्तित्व इस बात से तय होता है कि आप किस तरह से बात करते हैं, लोग आपके कपड़ों, डिग्रियों या पैसों से ज्यादा आपकी बात करने की शैली को याद रखते हैं।
- आत्मविश्वास झलकता है – जब आप सही और स्पष्ट शब्दों का चयन करते हैं, तो आपके आत्मविश्वास का स्तर सामने वाले को तुरंत महसूस होता है।
- नेतृत्व क्षमता बनती है – जो लोग सही समय पर सही शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें लोग स्वाभाविक रूप से लीडर मानने लगते हैं।
- सम्मान बढ़ता है – दूसरों को सम्मानजनक शब्दों से संबोधित करने पर आपका भी सम्मान बढ़ता है।
- छवि बनती है – समाज में आपकी पहचान आपके शब्दों से ही बनती है, लोग अक्सर कहते हैं, “वह व्यक्ति बहुत अच्छे से बात करता है” यही आपकी असली पहचान होती है।
यानी शब्द केवल बातचीत का हिस्सा नहीं, बल्कि आपके पूरे व्यक्तित्व की झलक होते हैं।
4. गलत शब्दों के नकारात्मक प्रभाव
जैसे सही शब्द रिश्तों को जोड़ते हैं, वैसे ही गलत शब्द रिश्तों और करियर को बिगाड़ भी सकते हैं।
- गलत शब्द रिश्तों में दरार डाल सकते हैं।
- नकारात्मक भाषा आपके व्यक्तित्व को कमजोर दिखाती है।
- कठोर शब्द आपके करियर में रुकावट डाल सकते हैं।
- गलत समय पर गलत शब्द बोलना आपकी छवि को खराब कर सकता है।
इसलिए यह याद रखना ज़रूरी है कि शब्द एक बार निकल जाने के बाद वापस नहीं आते।
5. उदाहरणों से सीखें
- महात्मा गांधी – उन्होंने हमेशा सरल, स्पष्ट और सकारात्मक शब्दों का प्रयोग किया यही वजह है कि उनके शब्द करोड़ों लोगों को प्रेरित कर सके।
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – उनके शब्द हमेशा प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक होते थे, उन्होंने कभी कठोर या नकारात्मक भाषा का प्रयोग नहीं किया।
- व्यापार जगत के नेता – सफल कारोबारी हमेशा अपने ग्राहकों से शालीन और सकारात्मक भाषा में बात करते हैं, यही उनके ब्रांड की पहचान बन जाती है।
सही शब्द चुनने के व्यावहारिक टिप्स
अब तक हमने यह समझा कि सही शब्द रिश्तों, करियर और व्यक्तित्व पर गहरा असर डालते हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर सही शब्द चुनें कैसे? इसके लिए नीचे दिए गए सुझाव आपकी मदद करेंगे।
1. सोचकर बोलें
बोलने से पहले कुछ सेकंड रुककर सोचें कि आपके शब्द सामने वाले पर कैसा असर डालेंगे।
- क्या यह शब्द सकारात्मक है या नकारात्मक?
- क्या यह किसी को चोट पहुंचा सकता है?
- क्या इससे सामने वाला प्रेरित होगा या निराश?
सोच-समझकर बोले गए शब्द हमेशा प्रभावी और यादगार होते हैं।
2. सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें
बहुत कठिन या जटिल शब्दों का प्रयोग करने से बचें।
- आसान भाषा में बात करने से हर कोई आपको समझ पाता है।
- स्पष्ट शब्द सामने वाले के मन में भ्रम पैदा नहीं करते।
उदाहरण:
“मैं आपकी मदद करूँगा” कहना, “मैं आपकी सहायता की दिशा में यथासंभव योगदान दूँगा” से कहीं अधिक असरदार है।
3. सकारात्मक शब्दों का चयन करें
नकारात्मक शब्द आपके व्यक्तित्व को कमजोर दिखाते हैं।
- “समस्या” कहने के बजाय “चुनौती” कहना बेहतर है।
- “असंभव” कहने के बजाय “थोड़ा कठिन है, लेकिन संभव है” कहना अधिक प्रभावी होता है।
सकारात्मक शब्द ऊर्जा और आत्मविश्वास पैदा करते हैं।
4. परिस्थिति के अनुसार भाषा बदलें
हर स्थिति में एक ही तरह के शब्द प्रयोग नहीं किए जा सकते।
- ऑफिस में – औपचारिक और सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करें।
- दोस्तों के बीच – अनौपचारिक और हंसी-मज़ाक वाले शब्द चले जाते हैं।
- बड़ों से बात करते समय – आदर और शालीनता ज़रूरी है।
यानी एक ही बात को अलग-अलग शब्दों में कहने की कला सीखें।
5. क्रोध में शब्दों पर नियंत्रण रखें
गुस्से के समय शब्द तलवार से भी ज्यादा चोट पहुंचा सकते हैं।
- गुस्से में तुरंत जवाब देने के बजाय शांत होने के बाद बात करें।
- गहरी सांस लेकर सोचें – “क्या यह शब्द रिश्ते को बचाएंगे या बिगाड़ेंगे?”
याद रखें, गुस्से के शब्द भुलाए नहीं जाते।
6. दूसरों की जगह खुद को रखकर सोचें
अगर आपको समझ नहीं आ रहा कि कौन-सा शब्द बोलना चाहिए, तो सोचिए “अगर यही बात कोई मुझे कहे, तो मुझे कैसा लगेगा?”
- अगर अच्छा लगे तो वही शब्द बोलें।
- अगर बुरा लगे तो दूसरा विकल्प चुनें।
यह आदत धीरे-धीरे आपको हमेशा सही शब्द चुनने में मदद करेगी।
7. किताबें पढ़ने और अच्छे वक्ताओं को सुनने की आदत डालें
सही शब्दों का भंडार बढ़ाने के लिए पढ़ना और सुनना सबसे अच्छा तरीका है।
- प्रेरणादायक किताबें पढ़ें।
- अच्छे नेताओं और वक्ताओं के भाषण सुनें।
- नए शब्दों को सीखें फिर उन शब्दों को अपनी बातचीत के अंदर शामिल करें।
जितना ज्यादा पढ़ेंगे-सुनेंगे, उतने ही अच्छे शब्द आपके पास होंगे।
8. अभ्यास करें
सही शब्दों का चयन एक आदत है, जो लगातार अभ्यास से विकसित होती है।
- आईने के सामने अपने आप को खड़ा होता हुआ देखे, फिर बोलने का अभ्यास करें।
- अपने शब्दों को रिकॉर्ड करें और बाद में सुनकर सुधार करें।
- बातचीत के बाद सोचें – “क्या मैं और बेहतर शब्द चुन सकता था?”
सही शब्दों के चयन से होने वाले फायदे
- रिश्ते मजबूत होते हैं।
- करियर में तरक्की मिलती है।
- व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
- लोग आपको सम्मान देने लगते हैं।
- समाज में आपकी पहचान बनती है।
निष्कर्ष
सही शब्दों का चयन करना एक कला है, जो हर किसी को सीखनी चाहिए, शब्द केवल अक्षरों का मेल नहीं होते, बल्कि यह हमारे विचार, भावनाएँ और संस्कार का दर्पण होते हैं।
- गलत शब्द रिश्तों को तोड़ सकते हैं, जबकि सही शब्द रिश्तों को जोड़ते हैं।
- नकारात्मक भाषा करियर में बाधा बन सकती है, जबकि सकारात्मक भाषा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ाती है।
- कठोर शब्द छवि को बिगाड़ सकते हैं, जबकि शालीन शब्द आपको समाज में सम्मान दिलाते हैं।
इसलिए हमेशा यह याद रखें –
“बोलने से पहले सोचें, क्योंकि शब्द एक बार निकलने के बाद वापस नहीं आते।”
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