आज के कॉमपीटीशन भरे युग में केवल मेहनती होना ही काफी नहीं है,क्योंकि सफलता पाने के लिए जरूरी है कि आप समय के अनुसार समझदारी और चतुराई से काम लें, ‘चालाकी’ का मतलब यह नहीं है, कि आप किसी को धोखा दें, बल्कि इसका सही अर्थ यह है, की परिस्थितियों को समझकर सही निर्णय लेना और बुद्धिमत्ता से हर स्थिति को हैंडल करे, इसलिए आपको यह पता होना बहुत जरूरी है, की हमेशा चतुर चालक कैसे बने रहे
इसलिए आज हम इस पोस्ट मे कुछ पॉइंट्स कमाध्यम से विस्तार से जानेंगे कि हमेशा चतुर चालक कैसे बने रहे, ताकि आप अपने व्यक्तित्व में चतुराई और समझदारी कैसे विकसित कर सकते हैं, यह आपको पता चल सके, तो आहिए शुरू करे।

1. खुद को और दूसरों को गहराई से समझे
एक चतुर व्यक्ति की सबसे बड़ी खूबी होती है, की उसको यह आत्म-ज्ञान और दूसरों की सोच को समझने की कला उसके अंदर होती है, जब आप खुद की सोच, भावनाओं और कमज़ोरियों को पहचानते हैं, तो आप दूसरों को भी बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।
कैसे करें:
- रोज़ कम से कम 10 मिनट आत्मचिंतन करें “मैंने दिनभर मे क्या सीखा? क्या गलती की?”
- जब कोई व्यक्ति बात करे, तो सिर्फ सुनिए नहीं, उसकी नीयत, शब्दों की दिशा और चेहरे के हावभाव को भी नोट कीजिए।
- परिस्थिति के अनुसार प्रतिक्रिया देने से पहले सोचें: “क्या बोलना अभी ज़रूरी है?”
उदाहरण:
अगर ऑफिस में कोई सहकर्मी आपको बार-बार बहस में उलझाता है, तो उसे हर बार पलटकर जवाब देने के बजाय, उसकी मंशा को समझने की कोशिश कीजिए, शायद वह आपको नीचा दिखाना चाहता हो, ऐसे में आपका शांत रहना ही चतुराई होगी।
2. अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखे
चतुर लोग भावनाओं में बहकर निर्णय नहीं लेते है, वे जानते हैं कि गुस्सा, ईर्ष्या, डर ये सभी चीज़ें सोचने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, इसलिए वे खुद को भावनात्मक संतुलन में रखते हैं।
कैसे करें:
- कठिन स्थितियों में तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय 5 सेकंड रुकें।
- जब गुस्सा आए, तो गहरी सांस लें और खुद से कहें “क्या मैं बाद में शांत होकर बेहतर सोच पाऊंगा?”
- नियमित ध्यान से दिमागी संतुलन को बढ़ाएं।
उदाहरण:
किसी क्लाइंट ने आपके सुझाव को नकार दिया, अगर आप उस समय गुस्से में आकर प्रतिक्रिया देंगे, तो वह क्लाइंट हमेशा के लिए जा सकता है, लेकिन अगर आप शांत रहकर अपनी बात दोबारा पेश करें, तो शायद हो सकता वह आपकी बात मान जाए।
3. सूचनाओं को छाँटे और सही समय पर सही बात कहे
हर बात सबको बताना समझदारी नहीं होती, बल्कि हर चतुर व्यक्ति यह जानता है कि कब क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है, वे दूसरों की बातों को सुनकर उनके इरादे समझते हैं, लेकिन अपनी ज़रूरी जानकारी को केवल भरोसेमंद लोगों के साथ ही शेयर करते हैं।
कैसे करें:
- हर बातचीत को “जानकारी इकट्ठा” करने के अवसर के रूप में लें, न कि “जानकारी लीक” करने के रूप में।
- जब तक आप किसी पर पूरा भरोसा न करें, तब तक निजी विचार किसी को शेयर न करें।
- समूह में बोलते समय सोचे-समझे वाक्य चुनें ताकि आपकी इमेज बुद्धिमान व्यक्ति की तरह बनी रहे।
उदाहरण:
अगर आप किसी व्यापारिक सौदे की तैयारी कर रहे हैं, तो उसके बारे में सिर्फ उन लोगों को बताएं जो भरोसेमंद हों, समय से पहले बात बाहर निकलने से कॉमपिटिटर इसका फायदा उठा सकते हैं।

4. हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखे
चतुराई का सीधा संबंध धैर्य से होता है, कई बार लोग जल्दी फैसले लेने के चक्कर में गलतियां कर बैठते हैं, लेकिन एक समझदार व्यक्ति शांत दिमाग से सोचकर कदम उठाता है।
कैसे करें:
- जब कोई अवसर सामने आए, तो सबसे पहले सभी विकल्पों का मूल्यांकन करें।
- हमेशा “क्या होगा अगर” जैसे सवालों से निर्णय लेने का मूल्यांकन करें।
- जीवन के हर फैसले को तत्काल जीत-हार के रूप में न देखें, बल्कि दीर्घकालिक असर पर ध्यान दें।
उदाहरण:
मान लीजिए आपको दो नौकरी के ऑफर मिले हैं, एक तुरंत जॉइनिंग और दूसरी कुछ हफ्तों बाद अगर आप थोड़ा इंतज़ार कर बेहतर विकल्प को चुनते हैं, तो यह आपकी चतुराई होगी, क्योंकि जल्दबाजी अक्सर पछतावे का कारण बनती है।
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5. संबंध बनाने की चतुर कला
चतुर लोग केवल अपने काम में ही नहीं, बल्कि रिश्तों में भी रणनीतिक होते हैं, वे जानते हैं कि किनसे घुलना-मिलना है, किनसे दूरी रखनी है और कैसे नेटवर्किंग से फायदा उठाया जा सकता है।
कैसे करें:
- अपने आसपास ऐसे लोगों को रखें जो प्रेरणादायक, सकारात्मक और समझदार हों।
- जब कोई नया व्यक्ति मिले, तो पहले उसे अच्छे से जानें, उसकी प्राथमिकताओं को समझें।
- अपनी बात मनवाने के लिए मीठे शब्द, सम्मान और सही समय का इस्तेमाल करें।
उदाहरण’
अगर आप किसी वरिष्ठ अधिकारी से किसी काम की सिफारिश चाहते हैं, तो सबसे पहले उसके साथ रिश्ते बनाएं, उसकी बातों में रुचि लें, फिर एक सही समय पर अपना निवेदन रखें, इससे संभावना बढ़ जाती है कि वह आपकी मदद करेगा।

6. सीखने का लचीलापन बनाए रखें
चतुर लोग खुद को समय के अनुसार बदलते रहते हैं, वे कभी नहीं सोचते कि उन्हें सब आता है, उनमें हर दिन कुछ नया जानने की जिज्ञासा होती है और वे अपनी गलतियों से सीखते हैं।
कैसे करें:
- हर दिन 20 मिनट कुछ नया पढ़ें: जैसे कोई किताब, ब्लॉग या न्यूज़ आर्टिकल।
- जब कोई आपकी आलोचना करे, तो पहले उसे सुनिए और सोचिए – क्या उसमें कोई सच्चाई है?
- नई चीज़ें ट्राय करने में डरें नहीं बदलाव ही आपको दूसरों से आगे रखता है।
उदाहरण:
अगर आपकी पर्सनल ब्रांडिंग कमजोर है, तो आप वीडियो बनाना सीख सकते हैं या पब्लिक स्पीकिंग का अभ्यास कर सकते हैं, जो लोग तकनीक या मार्केटिंग बदलने से डरते हैं, वे लोग हमेशा जमाने से पिछड़ जाते हैं।
7. सही समय पर सही निर्णय ले
सिर्फ सोचने से कोई चतुर नहीं बनता, असली चतुराई तब दिखती है जब आप सही समय पर सही निर्णय लेंते है अवसर सबको मिलते हैं, लेकिन जो व्यक्ति उसे पहचान कर तुरंत एक्शन लेता है, वही बाज़ी मार लेता है।
कैसे करें:
- हमेशा निर्णय लेने से पहले “क्या इससे मुझे या दूसरों को भविष्य में लाभ होगा?” यह सोचें।
- किसी निर्णय में अगर संदेह हो तो सलाह लें, लेकिन निर्णय खुद का हो।
- समय को समझना सबसे बड़ी चालाकी है, कब बोलना है, कब चुप रहना है, कब आगे बढ़ना है।
उदाहरण:
अगर आप किसी प्रोजेक्ट में लीड बनाना चाहते हैं, तो उस समय तुरंत पहल करें जब कोई और नहीं कर रहा हो, इससे आप न केवल अपना आत्मविश्वास दिखाएंगे, बल्कि नेतृत्व क्षमता भी।
8. विरोध को समझदारी से हैंडल करे
हर कोई आपकी बात से सहमत नहीं होगा और यही जीवन की सच्चाई है, एक चतुर व्यक्ति जानता है कि विरोध का मतलब दुश्मनी नहीं होता, बल्कि यह एक मौका होता है अपनी सोच को बेहतर समझाने का।
कैसे करें:
- बहस के समय तर्क करें, लेकिन कटाक्ष या अपमान से बचें।
- जब कोई असहमति जताए, तो पूछें “आपका नजरिया जानना चाहूंगा।”
- विरोध में अवसर तलाशें शायद वह व्यक्ति किसी नई चीज़ की ओर इशारा कर रहा हो।
उदाहरण:
अगर टीम में कोई आपकी योजना का विरोध करता है, तो उसकी बात को नजरअंदाज करने के बजाय समझें कि उसका डर या परेशानी क्या है, इससे टीम में आपके प्रति भरोसा बढ़ेगा और इससे आप एक बेहतर लीडर बनेंगे।
9. चुप रहकर भी प्रभावशाली बनें
चतुराई का एक बहुत अहम हिस्सा यह है कि आप हमेशा बोलकर नहीं, कई बार चुप रहकर भी अपना प्रभाव छोड़ सकते है, हर जगह बोलना जरूरी नहीं, कई बार आपका चुप रहना भी आपको बहुत कुछ कह जाता है।
कैसे करें:
- जब माहौल गर्म हो, तो अपनी बात बाद में कहें – तब जब लोग सुनने की स्थिति में हों।
- केवल उन्हीं बातों पर बोलें जिनमें आपका अनुभव या जानकारी हो।
- चुप्पी को कमजोरी नहीं, ताकत बनाएं।
उदाहरण:
मीटिंग में जब सब अपनी बात कह रहे हों, उस जगह आप उनकी बात सुनिए और अंत में अपनी बात को सटीक और संतुलित ढंग से रखिए, यह तरीका सब पर अधिक प्रभाव डालेगा।
समापन:
आज हमने इस पोस्ट मे कुछ पॉइंट्स के माध्यम से इस बात को विस्तार से जाना की हमेशा चतुर चालक कैसे बने रहे, इसलिए जीतने भी पॉइंट्स आपको इस पोस्ट मे बताए गए है, उन्मे से हर एक पॉइंट को आप अच्छे से पढिए, लेकिन याद रहे चतुर और चालाक बनना कोई जन्मजात गुण नहीं है, यह एक ऐसी कला है जिसे कोई भी व्यक्ति अपने व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण को बदलकर सीख सकता है, जब आप अपने विचारों को स्पष्ट रखते हैं, अपनई भावनाओं को नियंत्रित करते हैं, और हर फैसले सोच-समझकर लेते हैं, तो आप न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सफल होते हैं, बल्कि समाज में भी एक समझदार व्यक्ति के रूप में आपकी प्रतिष्ठा अर्जित करते हैं।
आपके विचार
इस पोस्ट में आपने जाना कि चतुराई कोई चालबाज़ी नहीं बल्कि एक रणनीतिक सोच है, अगर आपको यह पोस्ट उपयोगी लगी हो, तो कृपया नीचे कमेंट करें और अपने अनुभव शेयर करें, और हाँ, इस पोस्ट को शेयर करें ताकि आपके दोस्त भी इस हुनर को सीख सकें।
Hello sir my one Question 1.mujhe lagta hai logo ko chalak bun kar nahi Raha na chaiye une toh confident hona chaiye apne aap par ki main ye samne Wale se baat kar rahe hu thik kar raha hu bus une ek parson se kuch sikhna chaiye dekh kar or sun kar he sikhta hai insaan