दैनिक जीवन में किसी से भी बहस होना एक सामान्य बात है, लेकिन हर बहस में पड़ना बुद्धिमानी नहीं होती है, बहस कई बार रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकती है, मन की शांति भंग कर सकती है और समय की बर्बादी भी हो सकती है, ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि हम किस तरह किसी भी बहस से कैसे बचे,
इसलिए इस पोस्ट में हम कुछ पॉइंट्स के माध्यम से विस्तार से जानेंगे कि किसी भी बहस से कैसे बचे, ओर हम एक परिपक्व और समझदार इंसान की तरह बहस से दूरी बना सकते हैं, तो आहिए शुरू करते है।

1. खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं
किसी भी से बचने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है कि आप अपने मानसिक स्तर को मजबूत करें, अक्सर लोग अपनी बात को सही साबित करने के चक्कर में बहस में उलझ जाते हैं, लेकिन अगर आपके भीतर आत्मविश्वास और संतुलन है, तो आप किसी के भी उकसावे में नहीं आएँगे।
- कैसे करें मानसिक अभ्यास:
- रोज़ 10 मिनट ध्यान करें।
- पॉज़िटिव विचार सोचने की आदत डालें।
- जब कोई आपको भड़काने की कोशिश करे, तब भी शांत रहें और जवाब देने से पहले 10 सेकंड सोचें।
2. बहस के पीछे के इरादे को समझें
हर बहस का एक मकसद होता है, कोई अपनी बात मनवाना चाहता है, कोई दूसरों को नीचा दिखाना चाहता है, तो कोई सिर्फ मज़े लेने के लिए विवाद से बहस करता है, अगर आप सामने वाले के इरादे को पहचान लें, तो आप खुद यह तय कर सकते हैं कि क्या उस बहस का हिस्सा बनना चाहिए या नहीं।
- सुझाव:
- सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज और शब्दों के चयन पर ध्यान दें।
- सोचें कि उसका मकसद समाधान है या सिर्फ विवाद।
3. चुप रहना हमेशा कमजोरी नहीं होती
कई बार लोग सोचते हैं कि अगर हमने जवाब नहीं दिया तो हम कमजोर समझे जाएंगे, लेकिन सच तो यह है कि चुप रहना समझदारी और आत्म-नियंत्रण का संकेत होता है।
- फायदे:
- आप अनावश्यक तनाव से बचते हैं।
- सामने वाला खुद अपनी गलती महसूस करता है।
- आप भीतरी रूप से शांत बने रहते हैं।
4. ध्यान विषय पर रखें, व्यक्ति पर नहीं
बहस का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि लोग विषय से हटकर व्यक्ति पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने लगते हैं, जब बहस तर्क से भावनात्मक हमले में बदल जाती है, तब उसका कोई समाधान नहीं बचता।
- क्या करें:
- किसी की सोच का विरोध करें, व्यक्ति का नहीं।
- “आप हमेशा गलत होते हैं” की जगह कहें “इस बार मुझे ऐसा लगता है…”
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5. बहस करने की बजाय सवाल पूछें
जब आप सामने वाले से सीधे बहस करने की बजाय उसे सवालों से सोचने पर मजबूर करते हैं, तो बहस अपने आप शांत हो जाती है।
- उदाहरण:
- “आपको ऐसा क्यों लगता है?”
- “इसका दूसरा पहलू क्या हो सकता है?”
6. अपने ईगो को नियंत्रित करें
किसी भी बहस में सबसे ज़्यादा आग तब लगती है जब हमारा अहंकार बीच में आ जाता है, अगर आप हर जगह खुद को सही साबित करने की कोशिश करेंगे, तो आपकी बहस कभी खत्म नहीं होगी।
- अभ्यास करें:
- खुद से पूछें: “क्या यह बहस ज़रूरी है?”
- कभी-कभी ‘हां तुम सही हो’ कह देना ज़्यादा बुद्धिमानी होती है।
7. माहौल देखकर प्रतिक्रिया दें
हर परिस्थिति में बहस से बचने का तरीका अलग हो सकता है, अगर सामने वाला गुस्से में है, तो बेहतर है आप शांत रहें और बाद में बात करें।
- माहौल का विश्लेषण करें:
- क्या ये ऑफिस है या घर?
- क्या आसपास और लोग हैं?
- क्या सामने वाला भावनात्मक है या तर्कसंगत?

8. बहस करने वालों से दूरी बनाना सीखें
कुछ लोग हर बात को बहस का मुद्दा बना देते हैं, ऐसे लोगों से जितना हो सके दूरी बनाए रखें, क्योंकि यह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा हो सकता है।
- कैसे पहचानें ऐसे लोग:
- हमेशा आलोचना करते हैं।
- हर बात पर टिप्पणी करते हैं।
- उनकी बातों से हमेशा नकारात्मकता झलकती है।
9. हास्य और हल्के-फुल्के शब्दों का प्रयोग करें
कई बार गंभीर बहस को टालने का सबसे अच्छा तरीका होता है थोड़े ह्यूमर के साथ जवाब देना, जब आप बात को हल्के में लेते हैं, तो सामने वाला भी उतना गंभीर नहीं रहता।
- उदाहरण:
- “अरे यार, इस मुद्दे पर तो हम दोनों टीवी डिबेट में पहुंच जाएंगे।”
- “चलिए चाय पर बात करते हैं, बहस से अच्छा रहेगा।”
10. शांत स्वर और धीमी आवाज़ में बात करें
किसी भी बहस में आवाज़ की टोन बहुत मायने रखता है, जब आपकी आवाज़ शांत और संतुलित होती है, तो सामने वाला भी अपनी आवाज़ कम कर देता है।
- प्रैक्टिस टिप्स:
- गहरी साँस लेकर बोलें।
- कभी भी ऊंची आवाज़ में प्रतिक्रिया न दें।
- शब्दों का चुनाव सोच-समझकर करें।
11. समाधान पर फोकस करें, तर्क पर नहीं
बहस तब फायदेमंद होती है जब उसका अंत किसी समाधान पर होता है, लेकिन जब सिर्फ तर्क-वितर्क ही होता है और समाधान की दिशा में कोई बात नहीं होती है, ऐसे मे यह आपके समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है।
- क्या करें:
- बातचीत को इस ओर मोड़ें: “इसका हल क्या हो सकता है?”
- सोचें कि क्या ये बातचीत कुछ सिखा रही है या सिर्फ तनाव दे रही है।
12. अपनी प्राथमिकताएं तय करें
आपके जीवन में क्या ज़्यादा ज़रूरी है, अपनी शांति या सामने वाले को हराना? अगर आपकी प्राथमिकता मानसिक शांति है, तो आप कभी बहस में नहीं उलझेंगे।
- सोचने की दिशा:
- क्या यह बहस मेरे लक्ष्य में मदद कर रही है?
- क्या यह मुद्दा वाकई इतना बड़ा है कि उस पर ऊर्जा खर्च की जाए?
13. खुद को बार-बार याद दिलाएं: “मौन रहना सबसे बड़ा उत्तर होता है”
हमेशा मौन रहना केवल एक चुप्पी नहीं है, बल्कि यह एक हथियार है, एक कला है, जब आप जानबूझकर मौन रहते हैं, तब सामने वाला खुद अपने आप को असहज महसूस करने लगता है।
- मौन का अभ्यास:
- जब कोई आपको उकसाने की कोशिश करे, तो बस मुस्कुराएं और आगे बढ़ जाएं।
- जवाब देने की इच्छा को टालें और खुद को समय दें।
निष्कर्ष
बहस से बचना कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह आपकी समझदारी, धैर्य और परिपक्वता का प्रमाण है, हर बात पर प्रतिक्रिया देना ज़रूरी नहीं होता है, जब आप शांत रहकर सोचते हैं, तब आप अपने समय, ऊर्जा और रिश्तों की रक्षा करते हैं।
अगली बार जब कोई आपको बहस में खींचने की कोशिश करे, तो खुद से बस एक सवाल पूछिए “क्या यह वाकई ज़रूरी है?” अगर उत्तर ‘नहीं’ है, तो मुस्कुराइए, आगे बढ़िए और खुद को उस स्तर पर गिरने से बचाइए जहाँ बहस होती है।
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