ज़्यादा सोचना कैसे बंद करें

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जीवन में चाय कोई भी काम हो लेकिन हर काम अपनी लिमिट में हो तो उसका अलग ही फायदा है, लेकिन वही अगर कोई काम लिमिट में न हो तो काफी बार उसका नुकसान भी हो सकता है, जैसे हर समय जरूरत से ज्यादा सोचना आज के टाइम में आपने देखा होगा कि हर कोई व्यक्ति अपनी जीवन की परेशानियों में काफी परेशान है, जैसे भविष्य की चिंता करना, अतीत में अगर कोई गलती हो गई हो तो उस बात को लेकर बार बार सोचते रहना आदि, ऐसी काफी परेशानिया है, जिसके बारे में व्यक्ति हर बार सोचता रहता है, इसके अलावा ऐसे काफी विचार है, जिसका आपके जीवन में कोई लेना देना नहीं है, लेकिन फिर भी उन विचारों को व्यक्ति बार बार सोचता रहता है, ओर परेशान होता है, इसलिए आपको यह पता होना चाहिए कि ज़्यादा सोचना कैसे बंद करें,

वैसे देखे तो ज्यादा सोचना आज के टाइम में कोई बड़ी समस्या की बात नहीं है, लेकिन फिर भी आज के दौर में यह एक आम मानसिक बीमारी बन कर के रह चुका है, ओर इन समस्याओं से लगभग आज की युवा पीढ़ी ओर स्टूडेंट्स, ऑफिस वर्कर जैसे कई व्यक्ति इस समस्याओं से जूझ रहे है, जो कि गलत है, व्यक्ति को उतना ही सोचना चाहिए, जितना उसके लिए सही है, इससे न सिर्फ आप टेंशन फ्री रहते है, बल्कि आपका दिमाग भी शांत रहता है, आज की पोस्ट में हम कुछ पॉइंट्स के माध्यम से यह डिटेल से समझने वाले है, की ज्यादा सोचना कैसे बंद करे, ओर इसके क्या क्या नुकसान है, तो आहिये शुरू करते है।

ज़्यादा सोचना कैसे बंद करें
Image Credit Source:- Pexels

1. ज़्यादा सोचने की जड़ें क्या हैं:-

ज्यादा सोचने के पीछे कई मानसिक, भावनात्मक और कई सामाजिक कारण हो सकते हैं:

  • भविष्य की चिंता: कुछ होने से पहले ही अपने आने वाले कल के बारे मे सोच के चिंता करना।
  • अतीत का पछतावा: “काश मैंने ऐसा नहीं किया होता।”
  • निर्णय लेने में डर: हर समय इसी बात का डर सताते रहना की कई कुछ गलत फैसला ना लेले।
  • अपने आप के अंदर विश्वास की कमी होना: अपने अंदर ड़ाउट होना की मे यह काम नहीं कर सकता।
  • परिपूर्णता की चाह: हर काम को परफेक्ट तरीके से करने का दबाव।
  • सोशल मीडिया की तुलना: दूसरों की जिंदगी देखकर अपनी जिंदगी को हीन मानना।

इन सब कारणों से कई बार हमारा दिमाग अनावश्यक विचारों की भूलभुलैया में फस कर जाता है।

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2. ज़्यादा सोचने के नुकसान:-

ज्यादा बार सोचने का कोई लाभ नहीं होता है, बल्कि इसके नुकसान ही नुकसान हैं:

मानसिक थकावट और चिंता

  • नींद में परेशानी
  • फैसला लेने में देरी और भ्रम
  • आत्मविश्वास के अंदर कमी
  • रिश्तों के अंदर तनाव
  • शारीरिक लक्षण जैसे सिरदर्द, हाई बीपी आदि,

इसलिए ज़रूरी है कि हम इसे रोकें और एक शांत, संतुलित जीवन की ओर आगे बढ़ें।

3. ज़्यादा सोचना कैसे बंद करें – व्यावहारिक उपाय:-

1. अपने विचारों को पहचानें और इसे स्वीकार करे

सबसे पहला कदम है — जागरूकता। आप तभी अपने आप को कंट्रोल कर सकते हैं जब आप यह जान पाएंगे कि आप क्या सोच रहे हैं। अपने विचारों को दबाने की बजाय उन्हें नोट करें जैसे:-

“अभी मैं कुछ विचार सोच रहा हूँ – क्या यह विचार मेरे काम का है?”

आप चाहें तो जर्नलिंग शुरू कर सकटे है – दिन में 10 मिनट अपने विचारों को कागज़ पर उतारें। इससे आपका दिमाग हल्का होता है।

2. “क्या होगा अगर?” से बाहर आएं

ज्यादा सोचने का मुख्य हथियार है – “क्या होगा अगर यह हो गया तो”

  • क्या होगा अगर मैं फेल हो गया तो?
  • क्या होगा अगर उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया तो?

इस सोच को रोकने के लिए खुद से पूछें:

“अगर ऐसा हुआ तो क्या मैं उससे नहीं निपट सकता?”

99% बार हम जिन बातों की चिंता करते हैं, वे बाते कभी होती ही नहीं है।

3. निर्णय लेने की आदत डालें:-

ज़्यादा सोचने वाले लोग अक्सर निर्णय नहीं ले पाते। इसलिए एक आदत बनाएं:

  • छोटे फैसलों को 1 मिनट में लेना शुरू करें – जैसे क्या खाना है, क्या पहनना है।
  • धीरे-धीरे बड़े फैसलों में भी आत्मविश्वास आएगा।

4. ध्यान और माइंडफुलनेस का अभ्यास करें:-

हर दिन 10 मिनट शांत बैठकर गहरी सांस लें और अपने श्वास पर ध्यान दें। इससे दिमाग को स्थिरता मिलती है।

  • माइंडफुलनेस का अभ्यास करें – यानी वर्तमान में पूरी तरह रहना सीखे।
  • जब आप वर्तमान में रहते हैं, तो ना अतीत की गलती सताती है, ना भविष्य की चिंता।

5. अपने काम के अंदर व्यस्त रहे:-

जब हम खाली होते हैं, तब दिमाग फालतू विचारों को आमंत्रण देता है। इसलिए:

  • कोई हॉबी पकड़ें – जैसे पढ़ना, पेंटिंग, संगीत, या कुकिंग आदि।
  • शारीरिक गतिविधि करें – व्यायाम, योग, चलना।
  • समय को मैनेज करें – “पूरे दिन मे क्या-क्या काम करे उसकी लिस्ट” बनाएं।

6. दूसरों से बात करें:-

अपने विचारों को साझा करें। कई बार किसी करीबी दोस्त, फैमिली मेंबर या काउंसलर से बात करने मात्र से ही मन हल्का हो जाता है।

  • बात करने से क्लेरिटी मिलती है।
  • कभी-कभी हमें सिर्फ सुनने वाला चाहिए होता है।

7. खुद को दोष देना बंद करें:-

ज्यादा सोचना कई बार आत्म आलोचना से जुड़ा होता है। आप बार-बार खुद को कोसते हैं:

  • “मैंने क्यों ऐसा किया”
  • “मुझसे तो कुछ ठीक होता ही नहीं।”

यह आदत छोड़ें इंसान गलती करता है और यही उसका विकास है।

खुद से वैसे बात करें जैसे आप अपने सबसे अच्छे दोस्त से करते हैं – प्यार ओर सहानुभूति से।

8. डिजिटल डिटॉक्स करें:-

सोशल मीडिया आज कल ज्यादा सोचने का सबसे बड़ा कारण बन चुका है, हर किसी की परफेक्ट लाइफ देखकर हम खुद को उससे कम महसूस करने लग जाते है।

  • दिन में कुछ घंटे सोशल मीडिया से दूर रहें।
  • रात को सोने से पहले मोबाइल न देखें।
  • सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल उठाने की आदत छोड़ें।

अंत में एक मंत्र:

“जो है, जैसा है – उसे वैसा ही स्वीकार कर चलो। चिंता नहीं, समाधान सोचो।”

निष्कर्ष
ज़्यादा सोचना एक आदत है, बीमारी नहीं। और हर आदत बदली जा सकती है – समझदारी, आत्म-जागरूकता, और थोड़े अभ्यास से। जब आप अपने विचारों को पहचानना, उन्हें स्वीकारना और उन्हें नियंत्रित करना सीख जाते हैं – तो धीरे-धीरे दिमाग शांत होता है, और जीवन सरल लगता है।

आपको चाहिए एक छोटा-सा संकल्प – “मैं अपने विचारों का मालिक हूँ, वे मेरे नहीं।”

समापन:-

आज हमने इस पोस्ट में कुछ पॉइंट्स के माध्यम से यह चीज अच्छे से समझा की ज़्यादा सोचना कैसे बंद करें, इसलिए जितने भी प्वाइंट आपको इस पोस्ट में बताए गए है, उनमें से हर एक प्वाइंट को आप अच्छे से पढ़िए ओर उसको अपने जीवन में उतारने का प्रयास करे, ताकि आप इससे टेंशन फ्री रह सके, ओर अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करते रहे, बाकी अगर आपको इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल या सुझाव आता है, तो उसे कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर शेयर करें।

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